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L4-L5 डिस्क बल्ज (herniation) का इलाज बिना सर्जरी के किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले आपको एक पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए ताकि सही निदान हो सके और उपयुक्त उपाय सुझावित किया जा सके। यहां कुछ सामान्य उपाय हैं जो इस स्थिति में मदद कर सकते हैं:

  1. आराम और विश्राम: आपको दर्दी इलाके को आराम करने और विश्राम करने का समय देना चाहिए। ज्यादा समय तक बैठे रहना या एक ही स्थिति में रहना दर्द में सुधार कर सकता है और न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है।
  2. फिजिओथेरेपी: फिजिओथेरेपी के एक्सपर्ट से मांसपेशियों को सुधारने के लिए सही आसन और एक्सरसाइज़ सीखने में मदद मिल सकती है। उन्हें आपकी स्थिति के हिसाब से विशेष तरीके से तैयार किया जाएगा।
  3. योग और प्राणायाम: कुछ योग आसन और प्राणायाम लगभग सभी डिस्क प्रॉब्लम्स के लिए लाभकारी हो सकते हैं। योग और प्राणायाम से कमर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद हो सकती है और दर्द को कम कर सकती है।
  4. गरम और ठंडे पैक्स: दर्दी इलाके पर गरम या ठंडे पैक्स का इस्तेमाल करना दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
  5. दवाएं: चिकित्सक द्वारा सुझाए गए दर्दनाशक और एंटी-इन्फ्लैमेटरी दवाएं भी लिया जा सकता है, लेकिन इनका उपयोग चिकित्सक की सलाह के साथ करना चाहिए।

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L4-L5-S1 नर्व रूट कंप्रेशन के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  1. कमर दर्द (Lower Back Pain): पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है, जो पैरों तक फैल सकता है।
  2. स्पास्टिकिटी (Spasticity): इसमें पैरों की मांसपेशियों की कठोरता हो सकती है और यह मोटाई और गति में कमी पैदा कर सकती है।
  3. पैर में शिथिलता (Weakness in the Legs): नर्व कंप्रेशन के कारण पैरों में कमजोरी और शिथिलता हो सकती है, जिससे चलने में परेशानी हो सकती है।
  4. तलवे में अधिक दर्द (Pain in the Sole): नर्व कंप्रेशन के कारण तलवे में ज्यादा दर्द हो सकता है और यह स्थिति मुख्य रूप से पैर के नीचे की ओर हो सकती है।
  5. पैरों में छुट्टी (Numbness in the Legs): नर्व कंप्रेशन के कारण पैरों में सुन्नता और छुट्टी हो सकती है।
  6. सामान्य से कम संज्ञान (Decreased Sensation): पैरों में अधिक कंप्रेशन के कारण उस क्षेत्र में संज्ञान की कमी हो सकती है।
  7. मूड स्विंग्स और बीमारियों में कमी (Mood Swings and Reduced Reflexes): नर्व कंप्रेशन का प्रभाव मांसपेशियों की गति पर हो सकता है, जिससे मूड स्विंग्स और अन्य सामान्य कंट्रोल की कमी हो सकती है।
  8. मूड स्विंग्स (Mood Swings): नर्व कंप्रेशन के कारण दर्द और विकल्पित मोबिलिटी कमी हो सकती है, जिससे मूड स्विंग्स हो सकते हैं।

यह सभी लक्षण व्यक्ति के रोग के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर कर सकते हैं|

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L4-L5 और S1 डिस्क के बल्ज के लिए एक्सरसाइज़ करने से पहले, आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए ताकि उन्हें आपकी स्थिति का सही निदान हो सके और उपयुक्त एक्सरसाइज़ सुझाई जा सके। यहां कुछ सामान्य एक्सरसाइज़ हैं जो इस स्थिति में मदद कर सकती हैं:

  1. पासिव भारतीय योगासन (Passive Back Bend):
    • एक एकड़ में लेटें और आपकी पैरेलल करें।
    • आपकी हथेलियों को सीधे रखें और सुधी को दीवार के साथ संपर्क में रहने दें।
    • कमर को सुधी से सीधा रखें और धीरे-धीरे शरीर को दीवार की ओर झुकाएं।
    • इस स्थिति में 15-30 सेकेंड तक बनाए रखें, फिर धीरे-धीरे वापस उठें।
  2. कटि चक्रासन (Cat-Cow Stretch):
    • चार्पाई स्थिति में जाएं।
    • श्वास के साथ, कमर को उच्च करें (खुदाई) और सिर को आपकी छाती की ओर झुकाएं (कौ)।
    • फिर धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकाएं और कमर को नीचे करें (गाड़ी)।
    • इसे 10-15 बार बार करें।
  3. सुप्त मत्स्यासन (Reclining Fish Pose):
    • एक योग मैट पर लेटें।
    • हाथों को सीधा रखें और अपने पैरों को समेत सीधा करें।
    • अब कमर को बेकारी से ऊपर उठाएं और सीधे उपर लेटें।
    • 15-30 सेकेंड तक इस स्थिति में बनाए रखें।
  4. बूटरफ्लाई एक्सरसाइज़ (Butterfly Exercise):
    • बैठें और पैरों को मिलाएं।
    • धीरे-धीरे पैरों को बाहर की ओर खींचें और फिर धीरे-धीरे वापस लाएं।
    • इस आसन को 10-15 बार बार करें।
  5. उत्तानपादासन (Raised Leg Pose):
    • सीधे लेटें और एक पूर्ण मात्रा पर एक पैर को ऊपर उठाएं।
    • धीरे-धीरे यही प्रक्रिया दूसरे पैर के लिए दोहराएं।
    • प्रत्येक पैर को 15-30 सेकेंड के लिए ऊपर में बनाए रखें।

ध्यान दें कि इन एक्सरसाइज़ को करने से यदि किसी भी समय दर्द में वृद्धि होती है, तो तुरंत चिकित्सक से मिलना चाहिए।

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L4-L5 और S1 डिस्क के हर्निएटेड डिस्क का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है. यहां कुछ सामान्य उपाय हैं:

  1. आराम और विश्राम: दर्द में आराम के लिए, आपको समय समय पर आराम करना और विश्राम करना चाहिए। यह कमजोरी को बढ़ा सकता है और दर्द में राहत प्रदान कर सकता है।
  2. फिजिओथेरेपी (Physiotherapy): फिजिओथेरेपी से आप सही पोस्चर, स्ट्रेचिंग, और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ सीख सकते हैं जो डिस्क को सही स्थान पर वापस ले आ सकती हैं और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान कर सकती हैं।
  3. दवाएं: आपके चिकित्सक द्वारा सुझाई जाने वाली दवाएं, जैसे कि दर्दनाशक और एंटी-इन्फ्लैमेटरी दवाएं, दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  4. अंधारास्त्र (Epidural Steroid Injections): कुछ मामलों में, चिकित्सक एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन प्रदान कर सकते हैं जो डिस्क के आसपास सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  5. सर्जरी: यदि अन्य उपाय साफ़ नहीं कर रहे हैं और स्थिति गंभीर है, तो चिकित्सक सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। सर्जरी के अनेक प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि माइक्रोडिस्केक्टोमी या डिस्केक्टोमी, जिसमें सूजनशील अंश को निकाला जाता है।

इन उपायों के अलावा, आपको अपने चिकित्सक से अपनी विशेष स्थिति पर निर्भर करके इलाज का सुझाव प्राप्त करना चाहिए।

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कमर की दबी हुई नस को खोलने के लिए निम्नलिखित उपायों का अभ्यास कर सकते हैं:

  1. फिजिओथेरेपी (Physiotherapy): फिजिओथेरेपी के एक्सपर्ट से सलाह लें और उनके सुपर्वाइजन में कसरतें करें, जो कमर की नसों को मजबूत करने और खोलने में मदद कर सकती हैं।
  2. योग और प्राणायाम: कुछ योग आसन और प्राणायाम, जैसे कि भुजंगासन, शलाभासन, और कपालभाति, कमर की नसों को स्थिति में लाने में मदद कर सकते हैं।
  3. सुर्य नमस्कार (Surya Namaskar): सुर्य नमस्कार एक पूर्ण शरीर कसरत है जो कमर को मजबूत करने में मदद कर सकती है।
  4. हॉट और कोल्ड ट्रीटमेंट (Hot and Cold Treatment): गरम और ठंडे पैक्स का इस्तेमाल करके कमर की मांसपेशियों को सुधारा जा सकता है। गरमी से खून संचारित होता है और ठंडाई से सूजन कम होती है।
  5. पेशेवर आसन (Active Stretching): चिकित्सक या फिजिओथेरेपिस्ट से सीखें कुछ पेशेवर आसन जो कमर की दबी हुई नसों को खोलने में मदद कर सकते हैं।
  6. सही पोस्चर (Correct Posture): सही बैठने और खड़े रहने की अभ्यास रखें ताकि कमर की नसों को दबने से बचा जा सके।
  7. आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment): कुछ आयुर्वेदिक उपचार और तेलों का उपयोग करके भी कमर की नसों को सुधारा जा सकता है।

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L4-L5 और S1 क्षेत्र में साइटिका दर्द का इलाज कई विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। यहां कुछ आसान एक्सरसाइज़ हैं जो साइटिका दर्द को कम करने में मदद कर सकती हैं (कृपया, इन्हें करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें):

  1. नीचे की ओर पैर की एक्सरसाइज (Leg Lowering Exercise):
    • लेटें और एक पूर्ण मात्रा पर एक पैर को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे नीचे लाएं।
    • पूरी प्रक्रिया को करते समय धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
    • प्रत्येक पैर के लिए 10-15 प्रतिष्ठानें करें।
  2. ब्रिज एक्सरसाइज (Bridge Exercise):
    • सीधे पड़े और घुटनों को झुकाएं, पैरों को हिलाकर कमर को ऊपर उठाएं।
    • श्वास बाहर करें और धीरे-धीरे कमर को नीचे ले आएं।
    • 10-15 प्रतिष्ठानें करें।
  3. पिरिफॉरमिस स्ट्रेच (Piriformis Stretch):
    • एक कुर्सी पर बैठें और एक पैर को विस्तार से बाहर रखें, दूसरा पैर को कुर्सी के ऊपर रखें।
    • सीधे बैठे रहकर धीरे-धीरे आगे झुकें, जिससे पिरिफॉरमिस मांसपेशी को स्ट्रेच किया जाए।
    • प्रत्येक पैर के लिए 15-30 सेकेंड तक स्ट्रेच को बनाए रखें।
  4. शलाभासन (Leg Raises):
    • पेट की ओर लेटें और एक पैर को थोड़ा सा ऊपर उठाएं, फिर धीरे-धीरे नीचे लाएं।
    • यह आसन पीठ की नसों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
    • प्रत्येक पैर के लिए 10-15 प्रतिष्ठानें करें।
  5. सुप्त पाद हस्तासन (Supine Hand-to-Big-Toe Pose):
    • पीठ पर लेटें और एक पैर को उठाएं और सीधा बनाएं।
    • हाथ को पैर की उंगली से मिलाएं और सीधे खड़े हों।
    • प्रत्येक पैर के लिए 10-15 सेकेंड तक स्थिति बनाए रखें।

यदि आप साइटिका दर्द से पीड़ित हैं, तो सबसे पहले चिकित्सक से मिलें और उनकी सलाह के बाद ही इन एक्सरसाइज़ को करें।

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